Last modified on 21 मई 2014, at 15:52

चोरी मोरी गेंदया / सूरदास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:52, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चोरी मोरी गेंदया मैं कैशी जाऊं पाणीया ॥ध्रु०॥
ठाडे केसनजी जमुनाके थाडे । गवाल बाल सब संग लियो ।
न्यारे न्यारे खेल खेलके । बनसी बजाये पटमोहे ॥ चो०॥१॥
सब गवालनके मनको लुभावे । मुरली खूब ताल सुनावे ।
गोपि घरका धंदा छोडके । श्यामसे लिपट जावे ॥ चो०॥२॥
सूरदास प्रभू तुमरे चरणपर । प्रेम नेमसे भजत है ।
दया करके देना दर्शन । अनाथ नाथ तुमारा है ॥ चो०॥३॥