भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साँस / राजेन्द्र जोशी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:04, 22 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह=मौन से बतक...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हँसते हुए उसकी साँसें
उसी को लौटा देंगे
पर अपनी शर्तों पर
यह देह तो मेरी माँ की है
केवल साँस ही है
जो तेरी है
पहचान पिता की
चालाकियां दुनिया की
ईर्ष्या रिश्तों की