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गेंदतड़ी का खेल / समीर बरन नन्दी

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गेंदतड़ी का खेल चल रहा है ..
पूरी तरह साध कर मारते हैं एक दूसरे को.. खींचकर..
लग गया तो वोट बढ़ गए
नहीं लगा तो...,
गेंद अब दूसरे के हाथ में ।

अब वह प्रहार करेगा ।
इस खेल में सभी दुश्मन है.. पैसा बहुत लगा है...
इसलिए मारना है और बचना है ।

अरे नेताजी, ई खेल गाँव माँ हम खूब खेले हैं...।