Last modified on 25 मई 2014, at 15:17

नवजात अश्वेत शिशु के जन्म पर-5 / पुष्पिता

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:17, 25 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुष्पिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नवजात माँ
हुलसित है कि
शिशु की त्वचा का रंग भी है उसकी तरह
'माँ' और मातृभूमि सरीखा
शोख, दमकता हुआ मटियाला सुनहरा
जो गोरों के बीच दिखता है
अलग से चमकदार

उसके जाये शिशु में है
उसकी पिता पीढ़ी का ही प्रजाति द्योतक वर्ण
अपने खून और रंग से
समझेगा अपनी पीढ़ियों का संघर्ष
वह भी
जारी रखेगा दोयम दर्जे के नागरिक होने के
संघर्ष का शांति-युद्ध

बगैर 'माँ' के कहे-सिखाये
करेगा वही सब कुछ
जो चाहती रही हैं
उसकी माँ की पीढ़ियाँ
वर्षों से
मानसिक आजादी का सुख.

नवजात नीग्रो माँ
अपनी पहली संतान की
'माँ' बनकर खुश है
और
चुप है कि
नवजात शिशु के रूप में
उसने हृदय प्रतीक 'शांति-दूत' को जन्म दिया है
जो विश्व मानव-मन में रोपेगा शांति-बीज
और ख़त्म करेगा
श्वेत और अश्वेत मानव-जाति के बीच का
जानलेवा संघर्ष
जो उच्चपदस्थ होने के बावजूद
अश्वेतवर्णी मनुष्य
जीवन भर ढोता है दासता का इतिहास
                     अमिट काले धब्बे की तरह
वह अपने 'शिशु और सोच' से विहव्ल है कि
अपनी कोख की खदान से
                     खन निकाला है उसने
                     अमूल्य काला हीरा
                     मानव-देह रूप में.