भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सोन चिरैया / पुष्पिता

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:48, 27 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुष्पिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

'पोयसी'
सूरीनाम की सोन चिरैया
सबाना रेत-माटी से
स्वर्ण को खोद निकालने वाली
मजदूरों से आँख चुरा
चुरा ले जाती है भूगर्भी दमकता स्वर्ण
जैसे किंगफिशर
पानी से चुरा लेता है मछली।

सोन चिरैया 'पोयसी' के
चुराए स्वर्ण के टुकड़ों से
चुराती हैं महिलाएँ स्नेह-स्वर्ण।

अपने प्रवासी प्रिय की
मन की अँगूठी के लिए
'हीरे' की सगाई-अँगूठी
एक जगमगाती धवल तारिका।