भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अर्पण कर दो राम को / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:32, 9 जून 2014 का अवतरण
(राग पीलू-ताल कहरवा)
अर्पण कर दो राम को बचे हुए सब श्वास।
स्मरण करो प्रभुका सदा, मनमें भर उल्लास॥
मौत मरेगी सदाको, फिर न आयगी पास।
राम-धाममें पहँच तुम बन जाओगे दास॥