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मन से नित चिन्तन करो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग माँड़-ताल कहरवा)
मन से नित चिन्तन करो प्रभु-लीला रस-धाम।
जिह्वा से जप करो नित परम मधुर हरि-नाम॥
तनसे जो कुछ भी करो कर्म वैध दिन-रात।
प्रभु-पूजनके भावसे पल-पल पुलकित गात॥