भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरवरियो / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:15, 16 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=मींझर ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई पीवो चिड़ी कमेड़ी
सरवरियो कद पालै ?

चांच चळू में फरक पड़ै के
बूतै सारू ले ल्यो,
भरो भलाईं घड़ो न बरजै
संको मती सहेल्यो,

ओ दिल रो दरियाव गगण रै
 आंसूड़ा नै झालै,
कोई पीवो चिड़ी कमेड़ी
सरवरियो कद पालै ?

तिरियां मिरियां भरयो हियै रो
हेत हबोळा खावै,
किस्यो पलींड़ो आं मनवारां
तिरसांया नै पावै ?

आठों पौर आंगणै ईं रै
लैरां घूमर घालै,
कोई पीवो चिड़ी कमेड़ी
सरवरियो कद पालै ?

खरो ज्ञान रो मोती उपन्यो
ईं रै गहरै पाणी,
डूबा आप रै आपै नै ओ
सत री जोत पिछाणी,

समदरसी ओ बिना धिनांयां
जग रो कळख उजाळै,
कोई पीवो चिड़ी कमेड़ी
सरवरियो कद पालै ?