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बटाऊ रो गीत / कन्हैया लाल सेठिया

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धर कूंचां भइ धर मजळां,
बंजर धरती पगां हळां!

क्यूं बिड़दावां फूलां नै ?
क्यूं बिसरावां सूलां नै ?
सगळां सागै मिलां रळां !
मारग बगता किंयां टळां ?

बैठा मन स्यूं करै धड़ा,
बां नै कोस घणां करड़ा,
निरथक सोचै कद निकळां ?
रै’सी लागी झड़ां झळां!

चालणियै नै बार कती ?
लागै, खाथी पून जती,
सुपनां नैणां, गीत गळां,
डूंगर लांघां समद दळां !