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कोयलां रा करम / कुंदन माली

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जद जद
इण बाग री
कोयलां
अैन बारे
निकलं’र
आपो छोड़
किया
फैल-फूतरा

उण रे
खुद रे बाग री
बांतां छोड़णी’ज भली
जठै-जठै
उगाती फिरी
आक अर
धतूरा ।