Last modified on 30 जून 2014, at 23:03

चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे / मैथिली लोकगीत

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:03, 30 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= संस...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे
ललना रे, ताहि तर बेटी जनम लेल, पुरुष बेपक्ष भेल रे
कथीए ओढ़न कथीए पहिरन, कथिए पथ भोजन रे
ललना रे, कथीए जरायब सोइरी घर, पुरुष बेपक्ष भेल रे
गुदड़ी ओढ़न गुदड़ी पहिरन, कोदो पथ भोजन रे
ललना रे, कड़री जरायब सोइरो घर, पुरुष वेपक्ष भेल रे
चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे
ललना रे, ताहि तर होरिला जनम लेल, पुरुष अपन भेल रे
लाले ओढ़न लाले पहिरन, सारिल पथ-भोजन रे
ललना रे, चानन जरायब सोइरी घर, पुरुष अपन भेल रे