मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सोना के खड़ाम चढ़ि आयल बरुआ
ओ जे राति नगर बुलि हे
ओ जे नगरक लोक सभे सूतल
केओ नहि जागल हे
जागल मे जागल अपन बाबा
ओ जे सुदीन जनउआ दीयऽ हे
रहू बाबू रहू बाबू अपन बरुआ
ओ जे सुदीन जनउआ देब हे
घरही मे नोतब गोसाउनि मैया
स्वर्ग पीतर सब हे
गंगा मे नोतब गंगा मैया
घर बरुआ हैत तखन जनउआ देब हे