भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाहि दिन आहे बेटी तोंहे अवतरलऽ / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जाहि दिन आहे बेटी तोंहे अवतरलऽ
ताहि दिन भेल विषमाद
चिन्ता, निन्द हरित भेल बेटी
थिर नहि रहल गेयान
पुत्र जँ होइतऽ बेटी, बजैत बधाबा
धियाक जनम विषमाद
कथी लय आहे अम्मा धियाक जनम देल
खैतहुँ मरिच पचास
मरिचक झोंकसँ धिया दरि जैतय
छुटि जाइत धियाक सन्ताप
सएह सुनि बाबा उठल चेहाय
मनाइन देल जगाय
गाड़ल धन धिया हम नहि राखब
आब धिया होयत वियाह
बान्ह बन्हबिहऽ बाबा पोखरि खुनबिहऽ
धनकेँ लगबिहऽ छाँह
हाँस छुटुकि गेल, कमल फलकि गेल
जलमे मारय हिलकोर
ई सरोवर बाबा जैतुक मांगय
भैयाक जनम निरधन होय