Last modified on 1 जुलाई 2014, at 00:29

दुर्गा सन गौरी छथि सुन्दर / मैथिली लोकगीत

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:29, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुर्गा सन गौरी छथि सुन्दर
तिनका वर भेलखिन जोगी हे
पानक पात लए नाक पकड़बनि
नाक देबनि हम तोड़ि हे
हमरा गोरी दिस दृष्टि घुमयता
नयना देबनि हम फोड़ि हे
गरदनिमे चादरि लगएबनि
गरदनि देबनि हम तोड़ि हे
बसहा बरद सन मंडप घुमयबनि
करता कहथिन जे गौरी हे
दुर्गा सन गौरी छथि सुन्दर
तिनका वर भेलखिन जोगी हे