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कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन / शैलेन्द्र
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कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पल-छिन
मेरे ख़्वाबों के महल, मेरे सपनों के नगर
पी लिया जिनके लिए, मैंने जीवन का ज़हर
आज मैं ढूंढूँ कहाँ, खो गए जाने किधर
बीते हुए दिन वो मेरे, प्यारे पल-छिन
मैं अकेला तो न था, थे मेरे साथी कई
इक आंधी-सी उठी, जो भी था ले के गई
ऎसे भी दिन थे कभी, मेरी दुनिया थी मेरी
बीते हुए दिन वो मेरे, प्यारे पल-छिन