मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
देखलहुँ ने सुनलहुँ जमाय हे, मिथिलापुर बसि कऽ
गोर लागू पैंया पडू़ सिया के सजनमा
इहो मांग दिअ सिनुराय हे, हमरो घर चलि कऽ
माता के तेजब पिता के तेजब
तेजब हम घर द्वार हे, तोहरो संग चलि कऽ
प्रेम वचन सुनि बोले ब्रजनन्दन
द्वापर रचायब रास हे, वृन्दावन बसि कऽ
ऐसो किओ जबहिं मुसहरनी
ब्रज मे भेली गुवालिन हे, ठाकुर जन कहि कऽ