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तरुणी वयस पहु तेजल सजनी गे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तरुणी वयस पहु तेजल सजनी गे
नहि लेल खोज हमार सजनी गे
कानि-कानि पत्र हम लिखल सजनी गे
तइयो ने पहु देथि जबाब सजनी गे
ठाढ़ि छलहुँ हम कदम तर सजनी गे
लोक सभ देखि-देखि जाय सजनी गे
जिनकर एहन सोहागिन सजनी गे
से पुरुष केहन कठोर सजनी गे
कथि लए कनै छी सुन्दरि गे
कोन दुख पड़ल तोहार सजनी गे
हमर पिया परदेश गेल सजनी गे
तैं हम कनइ छी ठाढ़ि सजनी गे
कोन शहर बसु पहु तोर सजनी गे
किय थिक हुनकर नाम सजनी गे
हमरो के इहो बताय दिअ सजनी गे
हम करब हुनिकर खोज सजनी गे
कलकत्ता शहर छै बंगालमे सजनी गे
तहिठाम छथि पहु मोर सजनी गे
अपनहि हाथ एक पत्र लीखू सजनी गे
से हम देबनि देखाय सजनी गे
ताही सबूते पिया आओत सजनी गे
पूरत तोहर मनकाम सजनी गे
चारूकात लीखल विरह-बात सजनी गे
बीचहि धनिक बएस सजनी गे
आनक प्रेम कतेक दिन सजनी गे
फेरु हएत हमरहि आस सजनी गे
इहो पत्र पढ़लनि पिया जब सजनी गे
तुरतहि भेला विदा सजनी गे
हमर धनी एहन भेल सजनी गे
हमरा अछि अनकर आस सजनी गे
जखन पहु मोरा आयल सजनी गे
धनी केर करथि पुछारि सजनी गे
अपन धनी सन किछु नहि सजनी गे
फेर ने जायब ओहि देश सजनी गे
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
धनी सन किछु नहि होय सजनी गे