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तेरह / प्रमोद कुमार शर्मा
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सबद सराय है
जिणरै मांय साच रो वास हुवै
गम हुवै बेगम रो अर परकास हुवै
सावधान :
बजार ऊभो है
झूठ भी कदास हुवै
पण ख्यांत राखी :
पीढै ऊपर बैठी
मां भाखा नीं कदै
....उदास हुवै।