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छयांळीस / प्रमोद कुमार शर्मा
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सबद कदै कदास
देवण सींवां माथै पैÓरो
-बणज्यै है कुत्तो।
जोर-जोर सूं भूंसै
झांझरकै पैली स्हैर मांय
Óक डूब ना जाइयो सबदां री नहर मांय
कोई इण ढाळ कै पाछा ना बावड़ो!
सूत्या कांई हो नींद मांय सूरज नैं नावड़ो
जको करै है सबद मांय तावड़ो
अर सिर पर अंधेरां रै
-मारै है जूतो!