भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बावन / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:19, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राधे-गोविंद हरे मुरारे
-कह प्यारे
जे जीवणो है जगत मांय सुख सूं
नित रा उच्चार्या कर सबद अै मुख सूं
नींतर कस्ट अपार
-सह प्यारे
राधे-गोविंद हरे मुरारे
-कह प्यारे।