भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उणसित्तर / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:27, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थे राजा-म्हाराजा हो
थे तो धार कोनी मारो सबद री
थांरी तो बापड़ो भरै हाजरी
धर लेवै आपरो मनचायो भेख
घड़द्यै अणघड़ भी लेख
थे तो आंगळी ऊपर नचावो सबद नैं
पीवो बीं रो लोही
कितरा तरोताजा हो
थे राजा-म्हाराजा हो।