भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तयांसी / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:36, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
दिनुगै पैली उठै किसान
-इस्नान
करै आत्मा रो आत्मा मांय
सोधै अरथ परमात्मा मांय
पण अबै :
आत्मा-परमात्मा दोन्यूं गायब है
सरीर है मोकळा....
अर सरीरां रा सायब है
हाय!
सबद सरीर हूग्या
-लीर-लीर हूग्या।