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बूबू-2 / शुभम श्री

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खिलौने सीज़ हो गए तो
पेन के ढक्कन से सीटी बजाई
डाँट पड़ी
तो कॉलबेल ही सही
ड्राइँग बनाई दो-चार
और कपड़े रंग डाले
अख़बार देखा तो प्रधानमंत्री का शृंगार कर दिया
मूँछे बना दी हीरोइनों की
मन हुआ तो
जूतों के जोड़े बिखेरे
नोचा एक खिला हुआ फूल
चबाई कोंपल नई करी पत्ते की
हैण्डवॉश के डब्बे में पानी डाला
पिचकारी चलाई थोड़ी देर
रसना घोला आइसक्रीम के लिए
तो शीशी गिराई चीनी की
चॉकलेट नेस्तनाबूद किए फ्रिज से
रिमोट की जासूसी की
शोर मचाया ज़रा हौले-हौले
कूदा इधर-उधर कमरे में
खेलती रही चुपचाप
पापा जाने क्या लिख रहे थे सिर झुकाए
बैठी देखती रही
फिर सो गई बूबू
सपने में रोया
पलंग से गिरी अचानक
तो बुक्का फाड़ के रोया
अभी पापा की गोद में
कैसी निश्चिन्त सोई है छोटी बूबू