Last modified on 4 जुलाई 2014, at 06:18

अेक सौ बारह / प्रमोद कुमार शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:18, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कड़ टूटज्यै सबद री
जद बो कूड़ कपट करै
क्यूंकै
फगत साच ही
रूप आपरो परगट करै

पण :
कूड़ रो तो अवस्थान ई कोनी
फेर भी घणकरा लोगां नैं
इण बात रो ग्यान ई कोनी

पण कमाल है :
सदियां पछै भी
बै खुद पर हैरान ई कोनी।