Last modified on 8 जुलाई 2014, at 03:44

दाग़िस्तानी ख़ातून और शाइर बेटा / रसूल हम्ज़ातव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:44, 8 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव |अनुवादक=फ़ैज़ अहम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उसने जब बोलना न सीखा था
उसकी हर बात मैं समझती थी
अब वो शाइर बना है माने-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस कोई बात उसकी
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती