भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वर्षा / कमला दास
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:11, 14 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमला दास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हम लोगों ने
उस पुराने घर को छोड़ दिया
जब मेरा कुत्ता वहाँ मर गया,
उसे दफ़नाने के बाद,
दो-दो बार खिले गुलाब को,
जल्दी में जड़ों से उखाड़कर
अपनी क़िताबों, कपड़ों और कुर्सियों के साथ
लादने के बाद,
हम एक नए घर में रहते हैं अब,
और,इसकी छत नहीं रिसती, लेकिन
जब बारिश होती है यहाँ, मैं देखती हूँ बारिश
भिगोती है
वह खाली घर,
मैं सुनती हूँ इसका बरसना
जहाँ अब मेरा पप्पी सोया है
अकेला...