भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टूटने के बाद / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:35, 20 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=गीत विहग उतरा / र...' के साथ नया पन्ना बनाया)
टूटने के बाद
तितली कनखियों से
जुड़ गए हम
टूटने के बाद ।
छू सुनहरी पीठ परिचय की
वामनी क्षण सिन्धु तिरते
फूट पड़े बिजलियों से व्रण
जब अनूदित मेघ घिरते
साथ बाँधे याद
कनख़ी तितलियों-से
उड़ गए हम
टूटने के बाद ।