Last modified on 20 जुलाई 2014, at 18:39

चम्पई सीढ़ियाँ / रमेश रंजक

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:39, 20 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=गीत विहग उतरा / र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

झील की हिमकरी छाँह-सी
तैरती आँख की
बेकली ।

हिल उठीं चम्पई सीढ़ियाँ
रूप दुहरा बिखरने लगा
हर दिशा में धुले अंग से
मोतिया रंग झरने लगा

काँपते कूल पर धर चरण
ज्योत्सना डुबकियाँ
ले चली ।