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तूतनख़ामेन के लिए-30 / सुधीर सक्सेना

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कोई भी नहीं दे सकता

तुम्हें ज़िन्दगी

सिवाय मेरे

बस, मैं ही कर सकता हूँ

असम्भव को सम्भव


मैं एक अदना कवि

लो, देता हूँ तुम्हें ज़िन्दगी


लो, सदियों से मृत तुम्हें

मैं करता हूँ जीवित

सदैव के लिए करता हूँ जीवित

तुम्हें अपनी इस कविता में ।