भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तीव्र नीली कोलम सिम्फ़नी-6 / दिलीप चित्रे

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:10, 21 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिलीप चित्रे |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घुटता हुआ लहर में
मैं आकारहीन हूँ
इस जागृति का
अब तक कोई छोर नहीं
झूलता हुआ चीज़ों से
लदा ऊपर तक, और फिर नीचे
डूबता हुआ आँखों में
कुण्ठाओं के शहर के फुटपाथ पार करता
लड़खड़ाता, थरथराता