भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूर्यास्त / उंगारेत्ती
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:06, 30 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=उंगारेत्ती |संग्रह=मत्स्य-परी का गीत / उंगारेत्ती }} [...)
|
आकाश का लज्जारुण चेहरा
जगा देता है कई-कई नख़्लिस्तान
प्यार के
बनजारों के लिए ।