Last modified on 31 दिसम्बर 2007, at 01:46

आज नदी बिल्कुल उदास थी / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:46, 31 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं-1 / केद...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


आज नदी बिल्कुल उदास थी,

सोई थी अपने पानी में,

उसके दर्पण पर

बादल का वस्त्र पड़ा था ।

मैंने उसको नहीं जगाया,

दबे पाँव घर वापस आया ।