भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किसी की : किन्हीं की / ज्ञानेन्द्रपति

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:45, 30 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञानेन्द्रपति |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसी की हुई रहती है पौ-बारह
किन्हीं की पौ फटती ही नहीं
तमिस्राएँ उनकी आकाँक्षाओं के जवाब में
उतरती हैं उदयाचल से