Last modified on 1 सितम्बर 2014, at 23:09

बाहर खड़खड़ भड़भड़ शोर / दूधनाथ सिंह

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:09, 1 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दूधनाथ सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बाहर खड़खड़
भड़भड़ शोर
भीतर झलफल
भोर अँजोर
बाँधी डोर
बटोर
काल की
ओर-छोर
सौंपा
बचा-खुचा जीवन
फिर तुमको ।

फूटा स्रोत
सभी दिशाएँ
विस्मित घोर
अछोर ।