Last modified on 31 दिसम्बर 2007, at 14:24

धोबी गया घाट पर / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:24, 31 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं-1 / केद...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


धोबी गया घाट पर,

राही गया बाट पर,

मैं न गया घाट और बाट पर;

बैठा रहा टाट पर,

दोनों हाथ काट कर,

जीता रहा ओस चाट-चाट कर ।