भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शब्दों की कतार के पीछे / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:31, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


शब्दों की कतार के पीछे,

ओट में खड़ा

मैं बोलता हूँ तुमसे !


सारसों की पाँत के पीछे,

ओट में खड़ा

मैं बोलता हूँ तुमसे !