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ख़ामोशी की दुकान / दहलिया रविकोविच

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अगर मैं कारोबार की दुनिया में गया होता
तो मैं एक ऐसी दुकान खोलता
जहाँ ख़ामोशी बिकती ।

सिवाय छोटे से काउण्टर के
वहाँ हर तरफ़ ताक बने होते
जहाँ कई तरह की चुप्पियाँ
बेहद आकर्षक पैकेज में उपलब्ध होतीं ।

बुनियादी पहलू तो सब में एक जैसे ही होते,
मगर उसकी व्युत्पत्ति, अनुपात, संसाधन और स्वाद के कारण
उनमें फ़र्क पैदा होता ।

समुद्रों की ख़ामोशी
सुन्दर हरियाली लिए नीला है,
जिससे जहाज़ों एवम् पनडुब्बियों का शोर
एक ख़ास तरह की प्रक्रिया से छन जाता है
और केवल मछलियों के तैरने की
ख़ामोश आवाज़ रह जाती बिना किसी खलल के ।

जंगलों की ख़ामोशी
बिल्कुल हरी है,
जिसमें चिड़ियों का गान वैसे का वैसा रहता
क्योंकि वह हिस्सा है जंगल की ख़ामोशी का ।

शुद्ध, सफ़ेद ख़ामोशियाँ
रेफ़िजरेटर में रखी रहतीं :
पहाड़ों की चोटियों की मुलायम बर्फ़ीली चोटियों
तथा ध्रुवीय इलाकों की ख़ामोशी और ऊष्मा के लिए
सोए हुए बच्चों की ख़ामोशी
तथा पतियों ऐर पत्नियों की समझ-बूझ ।

उसमें ’अपने आप करें’ की सुविधा भी होती ;
एक ऐसी घण्टी जो बजती न हो ;
कार का निलाका हुआ हार्न ;
बिना विस्फोटक के तोप के गोले ;
अपमानों और चिल्लाहटों के संकलन
जिनके पन्ने अनकटे छोड़ दिए गए होते ।

ग्राहक आते,
बिना कुछ बोले मुस्कराते और सिर हिलाते,
जिसकी चाहत होती उसकी तरफ़ इशारा करते,
और अपना पैसा एक मुलायम रबर के गद्दे पर रख देते
जो झनझनाहट को सोख लेता,
और
केवल क़ब्रों की अन्तिम शान्ति होती
जो उनको कहीं और मिलती,
सो भी मुफ़्त ।