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शब्द नीली आस्था से / रमेश रंजक

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शब्द नीली आस्था से
               भर गए हैं ।

शक्ति गोताखोर की पाले हुए
मोतियों से बात करते हैं
वीतरागी व्योम से सम्वाद कर
जब कभी नीचे उतरते हैं
पँख में पावन परम किरणें लिए
कटखनी-सी रात को दिन
               कर गए हैं ।

वाक्‍पटु परिवेश की दीवानगी
देखकर हैरान है ऐसी
बाँध में बँधती हुई धारा
ठहर जाती है जहाँ जैसी
मर रहा था जो अनोखापन वहीं
उदधि-धन्वन्तरि उसाँसें
               धर गए हैं ।