Last modified on 30 सितम्बर 2014, at 22:53

कवि के शब्द / रश्मि रेखा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:53, 30 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रश्मि रेखा |अनुवादक= |संग्रह=सीढ़...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पूर्वजों की सभ्यता को बदलने में जुटे शब्द
आदमी को संवेदनहीन बनाने में जुटे शब्द
एक स्वंयभू सृष्टि रचने में जुटे शब्द

कवि के शब्द-भेदी वाण पर चढ़ कर
हम तक नहीं आए हैं ये शब्द
प्रागैतिहासिक मानव द्वारा निर्मित
भाषा के भी नहीं हैं ये शब्द
और न एलोरा भित्ति-चित्रों में निहित शब्दार्थ हैं

पिरामिडों से नाजियों तक का इतिहास साक्षी रहा हैं
आक्रामणकारियों के इस अमर प्रयास
और समय द्वारा उन्हें
बदल दिए जाते रहे ध्वंसावशेषों का
चालीस हजार वर्ष पुरानी इस मानव सभ्यता में

भविष्य का उत्खनन करते
अंतहीन साजिशों से उत्कीर्ण ज़मीन पर
हमारे जीवन की परिभाषा बदलने को आतुर
मन्त्र-सिद्ध शब्दों के लय-बद्ध निरंतर जाप से
गहराते दिखते समय के संकट के बीच
तेज वारिश की तरह
बरस जाते हैं कवि तुम्हारे शब्द
हमारी आदिम संवेदना के निकट
बहती अंत:सलिला में
जहाँ अभी भी जीवित हैं कविता
अपने तमाम अग्नि-बीजों को समेटे