भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम / राधावल्लभ त्रिपाठी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:43, 7 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राधावल्लभ त्रिपाठी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज्ञापालन में नष्ट जिनका सारा वैभव
हम नहीं वे किंकर,

जो नाचते रहें निर्रथक तुम्हारे आगे
हम नहीं वे किन्नर,

जो कूदें तुम्हारा जी बहलाने को
हम नहीं वे वानर,

जो जीते हैं अपने मान से
राजन् ! हम हैं वे नर ।