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ये हुनर अपना आसमानी है / रविकांत अनमोल
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बात छोटी है बा-मआनी है
ये हुनर अपना आसमानी है
मेरी आंखों में ये जो पानी है
ये तिरे प्यार की निशानी है
तू हमेशा से है मिरे दिल में
बाक़ी दुनिया तो आनी जानी है
तितलियां छेड़ती हैं फूलों को
देखिए रुत बड़ी सुहानी है
पेड़ पर नाचने लगे पत्ते
हौले हौले बरसता पानी है
जो तुम्हें नित-नई सी लगती है
ये कहानी बड़ी पुरानी है
आँख जो सूखती नहीं मेरी
क्या कहूँ इसमें कितना पानी है