Last modified on 5 जनवरी 2008, at 03:21

सम्भोग की मुद्रा में / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:21, 5 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=आग का आईना / केदारनाथ अग्रवा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सम्भोग की मुद्रा में

नग्न खड़े हैं

खुले आम

नर और नारी

एक दूसरे से लिप्त

परदा तोड़े

नए युग में

नई सन्तान

पैदा करने के लिए


ला विये (पिकासो का चित्र) को देखकर (रचनाकाल : 30.09.1960)