भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घोषणा / सुरेन्द्र रघुवंशी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:46, 22 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र रघुवंशी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह महज़ एक घोषणा थी
उसके हाथ थे न पैर
इसलिए चलकर वहाँ तक नहीं पहुँची
जहाँ उसे पहुँचना था

वह मंच से घोषित कथन थे
जब मंच हटा दिया गया
उखाड़ दिया गया पण्डाल
तब ठीक-ठीक नहीं बताया जा सकता
कि किस स्थान से
घोषित थे वे कथन

वे आँधी की तरह आए थे
और अदृश्य तूफ़ान की तरह चले गए