भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उम्र के छाले / जेन्नी शबनम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1.
उम्र की भट्टी
अनुभव के भुट्टे
मैंने पकाए ।
2.
जग ने दिया
सुकरात -सा विष
मैंने जो पिया ।
3.
मैंने उबाले
इश्क़ की केतली में
उम्र के छाले ।
4.
मैंने जो देखा
अमावस का चाँद
तस्वीर खींची ।
5.
कौन अपना ?
मैंने कभी न जाना
वे मतलबी ।
6.
काँच से बना
फिर भी मैंने तोड़ा
अपना दिल ।
7.
फूल उगाना
मन की देहरी पे
मैंने न जाना ।
8.
कच्चे सपने
रोज़ उड़ाए मैंने
पास न डैने ।
9.
सपने पैने
ज़ख़्म देते गहरे,
मैंने ही छोड़े ।
10.
नहीं जलाया
मैंने प्रीत का चूल्हा
ज़िन्दगी सीली ।

11.
मैंने जी लिया
जाने किसका हिस्सा
कर्ज़ का किस्सा ।
12.
मैंने ही बोई
तजुर्बों की फ़सलें
मैंने ही काटी ।
-0-