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दुख / मणि मोहन

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इस तरह भी
आते हैं दुःख जीवन में
कभी-कभी
जैसे दाल-चावल खाते हुए
आ जाता है मुंह में कंकड़
या
रोटी के किसी निवाले के साथ
आ जाये मुँह में बाल
या फिर गिर जाए
दाल-सब्ज़ी में मच्छर

अब इतनी-सी बात पर
क्या उठाकर फेंक दें
अन्न से भरी थाली
क्या इतनी-सी बात पर
देनें लगें
ज़िन्दगी को गाली ।