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हमनें देखौ बर्राटन में / महेश कटारे सुगम
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हमनें देखौ बर्राटन में ।
आग लगी है घर-घाटन में ।
पिस रये हैं अब सबई आदमी,
दुःख की चक्की के पाटन में ।
बाँट तखरिया सें तुल रये हैं,
मान्स बिकत फिर रये हाटन में ।
ऊँच नीच नईं कछू देख रये,
अकड़े फिर रये गर्राटन में ।
कैसेऊँ आवै दौलत आवै,
भये आँधरे भैराटन में ।