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मृत्‍यु और प्रमाण-पत्र / प्रेमचन्द गांधी

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एक

वो नहीं रहे
इसका सबूत क्‍या है
मैंने कहा
जैसे वे गए
वसन्त भी चला गया
उन्‍होंने कहा
सबूत पेश करो
शरद, शिशिर, हेमन्त और वर्षा भी नहीं रहे
हमें सबका मृत्‍यु-प्रमाणपत्र चाहिए ।

दो

उन्‍हें चाहिए
हर जगह मूल मृत्‍यु-प्रमाणपत्र
कोई प्रतिलिपि नहीं चलेगी

बैंक, बीमा, पेंशन, पानी, बिजली, टेलीफ़ोन
नगरपालिका, आवासन मण्‍डल
सभी को चाहिए
मूल मृत्‍यु-प्रमाणपत्र
मैं कहना चाहता हूँ कि
पहली बार वे तब मरे थे
जब उन्‍हें स्‍कूल में दाखिला नहीं दिया गया था
उनकी जाति के कारण
इस पहली मृत्‍यु के निशान
जीवन भर रहे उनकी आत्‍मा पर
दूसरी बार उनकी मौत तब हुई
जब सबसे अच्‍छे अंकों से
प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण होने के बावजूद
उन्‍हें गाँव भर में अपमानित किया गया
दूसरी मौत उन्‍हें शहर ले आई
शहर में उन्‍हें धीरे-धीरे मारा गया
सबसे पहले अच्‍छी कॉलोनी में
किराए के मकान से वंचित रखकर मारा गया
दफ़्तर में पानी का अलग
मटका रखकर मारा गया
ज़्यादा काम करने के बावजूद
औरों के हिस्‍से का काम लाद कर मारा गया
उन्‍होंने धार्मिक जुलूस के लिए चन्दा नहीं दिया तो
उनकी दराज़ों-अलमारियों में
अदृश्‍य रंग में डूबे
रुपये रखकर मारा गया
उन्‍हें पदोन्‍नति में
नाक़ाबिल कहकर मारा गया
बच्‍चों की पढ़ाई
और मकान के लिए
उन्‍हें कर्ज़े के लिए अपात्र मानकर मारा गया
सेवानिवृति से ऐन पहले
उनके खिलाफ़ जाँच बिठाकर मारा गया
कचहरी में झूठी गवाहियों से मारा गया
घाघ वकीलों की जिरह में
उन्‍हें लांछनों से मारा गया
आए दिन पल-पल की इस मौत से
सुकून दिलाने वाली
उनकी थोड़ी-सी शराब को
गांधीवाद और मद्यनिषेध के नाम पर
महंगी कर-करके उन्‍हें मारा गया

वे अपनी बमुश्किल सत्‍तर-साला ज़िन्दगी में
दस हज़ार बार मरे
क्‍या करें हुज़ूर
इन मौतों का कोई प्रमाण नहीं
यह उनकी आख़िरी मौत थी प्राकृतिक
बस इसी का पंजीकरण हुआ है
जिसका दस्‍तावेज़ है
यह मूल मृत्‍यु-प्रमाणपत्र ।