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बिटिया / अरविन्द कुमार खेड़े
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बिटिया मेरी,
सेतु है,
बाँधे रखती है,
किनारों को मजबूती से
मैंने जाना है,
बेटी का पिता बनकर,
किनारे निर्भर होते हैं,
सेतु की मजबूती पर ।