भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आभारी हूँ / पाब्लो नेरूदा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:33, 23 दिसम्बर 2014 का अवतरण
|
वायलिनो,
आभारी हूँ चार तारों वाले
इस दिन के लिए ।
स्पष्ट है आसमान की आवाज़,
हवा की उदास सरसराहट...
स्पष्ट है ।