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करम सबई हैं कारे उनके / महेश कटारे सुगम

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करम सबई हैं कारे उनके
लग रये हैं जैकारे उनके

सबरे गुण्डा चोर लुटेरे
हैं आँखन के तारे उनके

भौत भूभरा मूतत फिर रये
सँगै रैवे वारे उनके

जित्ते चमचा बने फिरत्ते
हो गए वारे न्यारे उनके

सुगम पुलस के ऊँचे अफ़सर
बने फिरत रखवारे उनके